हज़रत ओवैस क़रनी (रज़ि०) की ख़्वाहिश थी कि अल्लाह के नबी की ज़ियारत करें, मगर माँ की ख़िदमत ने….
हज़रत ओवैस क़रनी अल्लाह के प्यारे नबी पैगम्बर मौहम्मद साहब की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि अल्लाह के नबी ﷺ का दीदार कर लूं, मां थीं और उनकी खिदमत आपको हुज़ूर ﷺ के दीदार से रोके हुए थी.
उधर नबी ﷺ यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से अपने दोस्त की खुश्बू आ रही है, एक सहाबी रज़िअल्लाहु अन्हु ने कहा या रसूलअल्लाह ﷺ आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हैं कि आपसे से मिलने भी नहीं आए?
तो प्यारे आका मुहम्मद ﷺ ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी माँ को वो अकेला छोड़कर नहीं आ सकता.
प्यारे आका ﷺ ने उमर और हज़रत अली रज़िअल्लाह से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी, रंग होगा काला,
और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वो आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करता.
उमर रज़िअल्लाहु अन्हु दस साल खलीफा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस करनी को तलाश करते, लेकिन उन्हें ओवैस करनी न मिलते. एक बार हज़रत उमर रज़िअल्लाह अन्हु ने सारे हाजियों को मैदान अराफात में इकठ्ठा कर लिया,
और कहा कि सभी हाजी खड़े हो जाएं फिर कहा कि सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो, तो सभी बैठ गए और सिर्फ यमन वाले खड़े रहे. फिर कहा कि यमन वाले सारे बैठ जाओ सिर्फ कबीला मुराद खड़ा रहे.
फिर कहा मुराद वाले सभी बैठ जाओ सिर्फ कर्न वाले खड़े हों, तो सिर्फ एक आदमी बचा हज़रत उमर अल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि आप करनी हो तो उस शख्स ने कहा हाँ क़रनी हूँ, तो हज़रत उमर ने कहा कि ओवैस क़रनी को जानते हो? तो उस शख्स ने कहा कि हाँ जानता हूँ वो तो मेरे सगे भाई का बेटा है, आपने पूछा कि ओवैस है किधर?
तो इस शख्स ने कहा कि वो अराफात गया है ऊंट चराने, आपने हज़रत अली रज़िअल्लाह अन्हु को साथ लिया और अराफ़ात की ओर दौड़ लगाई जब वहां पहुंचे तो देखा कि ओवैस क़रनी पेड़ के नीचे नमाज़ पढ़ रहे हैं, और ऊंट चारों ओर चर रहे हैं।
आप दोनों बैठ गए और हज़रत ओवैस क़रनी की नमाज़ पूरी होने का इंतज़ार करने लगे, जब हज़रत ओवैस करनी ने सलाम फेरा तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने पूछा कौन हो भाई? तो हज़रत ओवैस क़रनी ने कहा अल्लाह का बंदा, तो उमर रज़िअल्लाु अन्हु ने कहा कि सारे ही अल्लाह के बन्दे हैं लेकिन तुम्हारा नाम क्या है? तो हज़रत ओवैस क़रनी ने कहा कि आप कौन हैं?
हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि ये अमीरुल मोमीनीन उमर बिन खत्ताब हैं और मैं अली बिन अबी तालिब हूं. हज़रत ओवैस का यह सुनना था कि थर थरा काँपने लगे और कहा कि जी मैं माफी चाहता हूँ मैंने अपको पहचाना नहीं था मै तो पहली बार हज पर आया हूँ, उमर रज़िअल्लाह अन्हु ने कहा कि आप ओवैस हो? तो उन्होंने कहा हाँ मै ही ओवैस हूँ.
उमर रज़िअल्लाह अन्हु ने फरमाया कि हाथ उठाइए और हमारे लिए दुआ फ़रमा दें, वो रोने लगे और कहा कि मैं दुआ करूं? आप लोग सरदार और मै नौकर आपका और मै आप लोगों के लिए दुआ करूं ? तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि हाँ हमारे आका मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म था कि ओवैस जब भी आए तो दुआ करवाना.
फिर हज़रत ओवैस करनी ने दोनों के लिए दुआ की। सरकार ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक़्त अल्लाह फ़रमाएगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि एे अल्लाह!
मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फ़रमाएगा कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुश किया है ”माँ” की खिदमत ”तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा.
इस्लामिक विचार मोहम्मद सादिक हुसैन Facebook पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें
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