हदीस की रौशनी में जानिए ईदैन की रातों की फ़ज़ीलत और अहमियत …एक बार ज़रूर पढ़ें
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जानिए ईदैन की रातों की फ़ज़ीलत और अहमियत …हदीस की रौशनी में
हज़रत अबूउमामा ( रज़ि० ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ( सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म ) ने फ़रमाया जिसने ईदैन की दोनों रातों में खालिस अज़्र व सवाब की उम्मीद पर इबादत की , उसका दिल ( कयामत के ) उस ( हौलनाक ) दिन में मुर्दा नहीं होगा जिस दिन लोगों के सिन ( खौफ व दहशत से ) मुर्दा होंगे ।
तशरीह : कयामत के हौलनाक दिन में खौफ व हरास और तकलीफ व परेशानी का ये आलम होगा कि आदमी ज़िन्दगी पर मौत को तरजीह देगा , जो लोग इन दो मुबारक रातों में अपने दिल , अपने परवरदिगार से लगाए रहेंगे , कयामत के दिन उसको अम्न व सुकून और राहत व आराम नसीब होगा ।
और बाज़ उलमा ने ये मतलब बयान किया है कि उस शख्स का दिल दुनिया की मुहब्बत में दीवाना न होगा जो हकीकत में दिलों के लिए मौत है और ये शख्स बुरी मौत से महफूज़ रहेगा ।
( अत्तरगीब व अत्तरहीब जिल्द 2 सफ्हा 384 ईदैन की शब में तमाम रात इबादत करना और नफ़्लें पढ़ना मुस्तहब है ।
( फ़तावा महमूदिया जिल्द 2 सफ्हा 335 )
( मसाइले ईदैन व कुर्बानी सफा 37 )
अमित विचार मोहम्मद सादिक हुसैन Facebook पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें
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