मोदी और ट्रंप पड़े हैं जिसे हासिल करने के पीछे, इस मुस्लिम शख्स ने दुनिया की उस कीमती चीज़ को ठुकरा दिया था…



मोदी और ट्रंप पड़े हैं जिसे हासिल करने के पीछे, इस मुस्लिम शख्स ने दुनिया की उस कीमती चीज़ को ठुकरा दिया था…

बीते सदी के एक बड़े आलिम,जो आलिम होने के साथ साथ एक बड़े मुफ़क्किर भी थे, अपनी काबलियत से यूरोप की यूनिवर्सिटी में अपना सिक्का जमा लिया था, और अपने इल्म की वजह से यूरोप की यूनिवर्सिटी में में वह मक़बूल हो गए थे। आज हम उन्हें के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।



हम बात करने जा रहे हैं अल्लामा मोहम्मद इनायत उल्लाह ख़ान मशरिक़ी की, यह 25 अगस्त 1888 को पैदा हुये,और शूरु में अपने घर पर ही तालीम हासिल की, उसके बाद वह स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पहुंचे, जहां पर भी आप पढ़ने के लिए गए, आप ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।

अल्लामा ने सिर्फ 14 साल की उम्र में शेर कहना शुरू कर दिये थे, इनकी शायरी को सुन कर अच्छे अच्छे शायर खामोश हो जाते थे, वहीं अललमा ने सिर्फ 19 साल की उम्र में मास्टर डिग्री हासिल कर ली, और यह एक रेकार्ड हो गया था। कम उम्र में ही वह इतने काबिल हो गए थे, कि उनके सामने बड़ी उम्र के लोग और अच्छे अच्छे काबिल लोग खामोश हो जाते थे।

सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अललमा ने विदेशों में भी अपने इल्म से लोगों को हैरत में डाल दिया। इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में जब आप पहुंचे तो वहाँ के प्रिसिपल को एक दिन कहना पड़ा कि इतने कम टाइम में किसी को भी इतने अवार्ड नहीं मिले जीतने इनहोने हासिल कर लिए।



अपनी तालीम मुकम्मल करने के बाद अल्लामा मशरिक़ी इंडियन एजुकेशनल सर्विस के हेड बनाये गये, फिर कई कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में अपनी ख़िदमात देते रहे।

अल्लामा की किताब तज़किरा को 1925 में नौबेल प्राइज़ के लिए नोमिनेट किया गया लेकिन इसके साथ में यह शर्त रखी गई कि इस किताब किसी यूरोपियन ज़बान में की जाए, अल्लामा मशरिक़ी ने उनके इस शर्त को ठुकरा दिया।और नौबेल प्राइज़ लेने से इंकार कर दिया था।


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