1973 के अरब-इजराइल युद्ध मे अमेरिका के इजराइल के समर्थन की वजह से शाह फैसल अल सऊद ने

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1973 के अरब-इजराइल युद्ध मे अमेरिका के इजराइल के समर्थन की वजह से शाह फैसल अल सऊद ने 
अमेरिका पर तेल प्रतिबंध लगा दिया था जो ऑइल एम्बारगो के नाम से मशहूर हुआ, अमेरिका और पूरी दुनिया मे तेल की कमी हो गयी और तेल के दाम चार गुना तक बढ़ गये, अमेरिका के हर पेट्रोल पंप कई किलोमीटर लंबी लाइने लगी रहती तेल की चोरी रोकने के लिए पैट्रोल पंप मालिक दिन रात खुद बंदूक ले कर चौकीदारी करते, कई व्यवसाय ठप पड़ गये और हर चीज़ की कीमत बहोत बढ़ गयी । 


इस समस्या को खत्म करने के लिए अमेरिका के स्टेट ऑफ सेक्रेटरी हेनरी किसिंगर सऊदी अरब आये और शाह फैसल से इस प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध किया , इस पर शाह फैसल ने इसरायली सेना को मिस्र के कब्ज़ा किये हुए सिनाई और सीरिया के गोलन हाइट से इसरायली सेना की वापसी के साथ कुछ और शर्ते रखी, अमेरिकी सेक्रेटरी ने इस पर इजराइल से बात चीत का भरोसा दिलाया और कहा कि पहले सऊदी अरब तेल प्रतिबंद हटाये और अगर सऊदी अरब ने ऐसा नही किया तो अमेरिकी सेना सऊदी अरब पर हमला कर के उसे बरबाद कर देगी, 


शाह फैसल अल सऊद ने इस पर जवाब दिया-
"वो तुम अमेरीकी हो जिसे तेल की ज़रूरत है और उसके बिना रह नही सकते, हम रेगिस्तान के लोग है हमारे बाप दादा खजूर और ऊँठ के दूध पे ज़िन्दगी गुज़रते थे ,तो हम वापस अपने उसी हालत में चले जायेंगे हमे परवाह नही"


शाह फैसल ने साथ ही सऊदी की सेना को आदेश दिया कि तेल के सारे कुओ में बम विस्पोटक लगा दिया जाए ताकि अगर अमेरिकी सेना तेल के कुओ पर कब्ज़ा करने की कोशिश करे तो उसे विस्पोटक से उड़ा कर आग लगा दी जाए जो बुझ नही पायेगी और उनका हमला असफल हो जाएगा ।
(उस ज़माने में तेल के कुओ में लगी आग को बुझाने की कोई तकनिक मौजूद नही थी एक बार आग लगने के बाद हमेशा जलती रहती, ये तकनीक 1991 इराक युद्ध के बाद खोजी गयी कुवैत मे लगी तेल के कुओ की आग बुझाने के लिए)

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